उम्र भर गुनाह करते रहे लेकिन मुहब्बत तो इंसानियत से थी।
हकीकत पर मुलम्मा चढ़ाते हुए ना सोचा उतर ये भी जायेगा।।
नफरत का सैलाब उमड़ता रहा ताजिंदगी पर खट्टे मन से ही।
आवाज अंदर की सुनी तब जाकर इल्म हुआ इंसान ही बदल जाएगा।।
लेखनी से: दीपक सक्सेना
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